Bhahmlin Devraha BABA
ब्रम्हलीन योगिराज
पूज्य श्री देवराहा बाबा के वचनामृत
“गाय के पृष्ठ भाग में ब्रम्हाजी, गले में विष्णु भगवान का, मुख में शिव का और रोम – रोम में ऋषि महर्षि, देवताओं का वास है और आठ ऐश्वर्यों को लेकर के लक्ष्मी माता गाय के गोबर में बसती है। गाय की बहुत बड़ी महिमा है जहां गाय के चरण पड़ते वहां देवताओं का वास रहता है। भारत की गरीबी दूर करने के लिए, भारत को समृद्धशाली बनाने के लिए गोरक्षा अत्यन्त आवश्यक है। हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, यहुदी, अंग्रेंज कोई भी हों यानी सबको गोरक्षा में तत्पर हो जाना चाहिए। मैं प्रेमपूर्वक बतलाता हूँ कि अब सब भारत का कलंक मिट जाएगा, अब गो वध बन्द हो जाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं।”
जे तोको कांटा बुवै, ताहि बोई तू फूल।
तोको फूल हैं, वाको हैं तिरसूल।।
बाबा का दरबार
श्री रामरेखा धाम भगवान राम, सीता, लक्ष्मण के आगमन से पवित्र स्थल बना। आज हम सबका यह पवित्र, श्रद्धा है। त्रेता युग से यह हम सबका पवित्र, श्रद्धा स्थल है। त्रेता युग से यह परम्परागत पूजित स्थल रहा है। पूज्य बाबा के चरण पड़ने से अब यह पवित्र स्थल हो गया। सत्य ही कहा गया है संतों, ब्रम्हज्ञानिया के चरण् पड़ने से तीर्थों का निर्माण होता है। पूज्य बाबा के चरण पड़ने से अब यह पवित्र तीर्थस्थल बना परम पूज्य देवराहा बाबा, पूज्य कर पात्री जी महाराज, जगत गुरु शंकराचार्य, पूज्य स्वामी निरंजन देवतीर्थ जी महाराज, पूज्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी महाराज, संत शिरोमणि स्वामी वामदेव जी महाराज, पूज्य स्वामी भगवान औखड़ राम, पूज्य स्वामी भन्ते श्रान जगत भिक्षु जी महाराजख् पूज्य जैन संत आचार्य तुलसी मुनि जी महाराज, आचार्य मणिभद्रजी महाराज, बनांचल पीठाधिश्वर स्वामी शिव चैतन्य ब्रम्हचारी जी महाराज, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि जी महाराज, महामंडलेश्वर विवेकानंद पुरी जी महाराज जैसे संतों की महती कृपा तथा चरण रज से स्निंग्ध तथा पूज्य राम रेखा बाबा की अखंड तपस्या से यह स्थल पवित्र तीर्थ हो ग्या। पूज्य बाबा द्वारा संतों के यथा योग सेवा सत्कार से स्थान का महत्व निरन्तर बढ़ता गया।
परमपूज्य रामरेखा बाबा के बनारस गद्दी पर आसिन होने से लेकर विभिन्न स्थलों यथा काशी, अयोध्या, दिल्ली, अमरकंटक के अखिल भारतीय संत समागम में संतो के बाबा के प्रति प्रेम, श्रद्धा विश्वास एवं आस्था की अभिव्यक्ति से राम रेखा धाम का हमत्व, गौरव राष्ट्रीय स्तर का हो गया। पूज्य बाबा जब दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे तब संत री आशाराम बापू, मुरारी बापू सरीखे संतो के मिलन से रामरेखा धाम का महत्व और अधिक बढ़ा।
राष्ट्रीय सवयंसेवक संघ के सरसंघ चालक परमपूज्य बाबा साहब देवरस जी, परमपूज्य सुदर्शन जी, बनवासी कल्याण केन्द्र के बाला साहब देश पाण्डेय जी, विश्व हिन्दु परिषद् के मा0 सिंघल जी के आगमन एवं विश्व हिन्दु परिषद, श्री हरिवनवासी विकास समिति जैसे संगठनों के संरक्षक मार्गदर्शक रहकर क्षेत्र के विकास में पूज्य बाबा का याेगदान से, समाज के संगठन एवं समाज के जागरण में अपूर्व सहयोग प्राप्त हुआ। धाम की प्रतिष्ठा में परिवर्तन आया।
पूज्य बाबा के सम्पर्क में आए तमाम संगठन से श्री हिन्दु धर्म रक्षा समिति के काय्र को गन मिला। पूज्य बाबा के सेवा सत्कार से संतों की लौ से प्रज्ज्वलित दीप स राम जी का यह दरबार प्रकाश पुंज बनकर आज चारों ओर प्रकाश फैला रहा है। धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु स्थापित श्री हिन्दु रक्षा समिति का विस्तार हो रहा है।
पूज्य बाबा का यह दरबार सदैव सभी मत, पंथ, सम्प्रदाय के लोगों के लिए खुला रहा। बाबा कहते थे यहां जो भी आते हैं, सभी राम जी के हैं। इस दरबार में कोई भेदभाव नहीं है। यहां वैष्णव, शैव, शाक्त, जैन, बौद्ध, कबीर सभी मत पंथ के मूर्ति पधारते हैं। सबका कृपा हे। इस दरबार में मौलाना, पादरी पुरोहित सभी आते हैं, सबका स्वागत है।
इस तरह श्री राम रेखा धाम पूत्य बाबा की तपस्या से सामाजिक संगठन धार्मिक सद्भावना, मानव सेवा, सांस्कृतिक विकास का एक अनूठा जागरण केन्द्र हो गया। यह प्रेम, आस्था, श्रद्धा भक्ति और विश्वास का एक जागृत स्थल है, श्रद्धा स्थल है।
पूज्य बाबा महज एक मठ के अधिकारी ही नहीं थे। उनका कोई व्यक्तिगत जीवन नहीं था। वे एक बहु आयामी व्यक्तित्व के महान सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक विकास के दिव्यमूर्ति थे। उनका जीवन मानवता के लिए, समाज, धर्म और देश के विकास के लिए समर्पित रहा। उन्होंने सबमें स्वयं को अपने में सबको पाया। उनके दरबार में आए सभी अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर संतुष्ट होकर ही वापस गए।